Thursday, August 4, 2011

ईश्वर की खोज


 अगस्त २००१ 
जब हम उसे ढूँढते हैं तो वह हमें नहीं मिलता. पर जब हम ढूँढते-ढूँढते खो जाते हैं तो वह हमें ढूँढता है. ईश्वर के मार्ग की रीत बिल्कुल उलटी है यहाँ मिलता उसी को है जो छोड़ने को तैयार हो. हमें तो बस उसे याद करते जाना है, हमारी हर श्वास पर उसका अधिकार है, हमारे पास अभिमान करने जैसा कुछ है तो यही कि हमने मानव जन्म पाया है और सत्संग के द्वारा सत्य के प्रति आस्था मन में जगी है, अब इसको सार्थक करना या इसे व्यर्थ बिता देना हमारे अपने हाथ में है.

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