Tuesday, August 28, 2012

परम प्रेम ही मुक्त करेगा


जुलाई २००३ 
परमात्मा अकाल है, अर्थात समय से परे है. उसे जान लें तो मन में जागृत अवस्था में भी सुषुप्ति का अनुभव हो सकता है, तब हम जगत में सभी कर्त्तव्यों का पालन करते हुए भी भीतर शिला की नाईं अडिग रह सकते हैं. उसका ज्ञान होते ही सारा का सारा विषाद न जाने कहाँ चला जाता है. जैसे सूर्य का प्रतिबिम्ब विभिन्न प्रकार के बर्तनों में एक सा नहीं दिखाई देता जिसमें पानी स्थिर है स्वच्छ है, उसमें प्रतिबिम्ब स्पष्ट होगा. जिसमें पानी गंदला है, उसमें स्पष्ट नहीं होगा, जिसमें पानी हिल रहा है वहाँ प्रतिबिम्ब भी टुकड़ों में दिखेगा. वह परमात्मा संतों के हृदय में स्पष्ट दिखता है और हमारे हृदय में स्पष्ट नहीं दिखता. जैसे-जैसे उसकी ओर हृदय जाता है, विकार अपने आप दूर होने लगते हैं. अध्यात्म का यही अर्थ है, यह हमें इतना विशाल बना देता है कि सारा ब्रह्मांड अपना लगता है. ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम ही हमें सारी बुराइयों से बचा लेता है.  

1 comment:

  1. जैसे सूर्य का प्रतिबिम्ब विभिन्न प्रकार के बर्तनों में एक सा नहीं दिखाई देता जिसमें पानी स्थिर है स्वच्छ है, उसमें प्रतिबिम्ब स्पष्ट होगा. जिसमें पानी गंदला है, उसमें स्पष्ट नहीं होगा, जिसमें पानी हिल रहा है वहाँ प्रतिबिम्ब भी टुकड़ों में दिखेगा. वह परमात्मा संतों के हृदय में स्पष्ट दिखता है और हमारे हृदय में स्पष्ट नहीं दिखता. जैसे-जैसे उसकी ओर हृदय जाता है, विकार अपने आप दूर होने लगते हैं. अध्यात्म का यही अर्थ है,.....bilkul sahi aur satya

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