Saturday, February 23, 2013

बिन फेरे हम तेरे



हम ईश्वर के हैं जब इस भाव में हम स्थिर हो जाते हैं तो अभिमान से दूर हो जाते हैं, सभी का आदर करते हैं. जब हम स्वयं को संसार का समझते हैं तो अभिमान से भर जाते हैं. ईश्वर की दुनिया में दिखावे का कोई स्थान नहीं, अत कपट भी वहाँ नहीं होता. वहाँ कोई दूसरा नहीं सो अभिमान किसे दिखायेंगे, वहाँ केवल प्रेम का ही जोर चलता है, क्योंकि प्रेम अपने आप में ही पूर्ण है, उसे कोई पात्र भी न मिले तो स्वयं को ही तृप्त करता है और स्वयं ही आनन्दित होता है. संसार में हम जितने के अधिकारी हैं उतना ही हमें मिलता है पर कृपा असीम है, हम उसे समेट ही नहीं पाते, संसार में हम सागर के किनारे बैठकर भी प्यासे रह जाते हैं, जीवन का एक-एक क्षण कितना कीमती है, इसकी प्रवाह किये बिना हम व्यर्थ ही संसार के पीछे दौड़ते रहते हैं. परम हर ओर से हमें घेरे है, उसकी तरफ आँख उठाकर देखते ही भीतर कैसी शांति का अनुभव होता है.

2 comments:

  1. संसार में हम जितने के अधिकारी हैं उतना ही हमें मिलता है पर कृपा असीम है, हम उसे समेट ही नहीं पाते, संसार में हम सागर के किनारे बैठकर भी प्यासे रह जाते है ,,,

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  2. धीरेन्द्र जी, स्वागत व आभार आपका..

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