Monday, May 6, 2013

एक नाम ही अधारा...


सितम्बर २००४
हमारे जीवन में अध्यात्म का आना एक नियत समय पर होता है. इस ज्ञान को जिस क्षण हमने अपने हृदय में स्थापित कर लिया, उसी दिन से हमारे उद्धार की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है. ज्ञान का आश्रय लेकर हम अपने इर्द-गिर्द बने झूठे आश्रयों से किनारा करते चलते हैं. हम जिस जगत का सहारा लेकर खड़े थे, वह तो स्वयं ही डगमगा रहा है, तो हमें क्या संभालेगा. ज्ञान ही सच्चा आश्रय है. ज्ञान तभी हृदय में टिकता है जब मन समाहित हो, वर्तमान में हो. एक हुए मन में कोई भेद नहीं रहता, तब विभिन्न नाम-रूपों में एक ही सत्ता के दर्शन होते हैं, तब कौन किससे चाहेगा या द्वेष करेगा. जब मन में कोई लहर नहीं उठती तब ही आत्मा अपना प्रकाश फैलाती है. व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति के प्रति सहज स्वीकार भाव हमारी ऊर्जा को बचाता है, जो मन को समाहित रखने में सहायक  होती है. 

6 comments:

  1. ज्ञान ही सच्चा आश्रय है..सही कहा है.

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  2. व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति के प्रति सहज स्वीकार भाव हमारी ऊर्जा को बचाता है ... बहुत सही कहा आपने ... प्रेरक प्रस्‍तुति

    सादर

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  3. बहुत सुंदर ज्ञान का पकाश फैलाती प्रस्तुति,,,

    RECENT POST: नूतनता और उर्वरा,

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  4. पहला कदम आत्म परिचय ही है .जिसने आत्मा के स्वभाव को जान लिया वही जगत जीत बनता है .

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  5. ज्ञान ही सच्चा आश्रय है. ज्ञान तभी हृदय में टिकता है जब मन समाहित हो,

    beautiful lines with eaternal emotions

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  6. अमृता जी, सदा जी, धीरेन्द्र जी, वीरू भाई व रमाकांत जी आप सभी का स्वागत व आभार!

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