Wednesday, April 9, 2014

जिसने सूरज चाँद बनाया

जनवरी २००६ 
जीवन कितना अद्भुत है, कितना सुंदर तथा कितना भव्य ! नीला आकाश, हरे-भरे बगीचे, मधु से युक्त पवन तथा शीतल जल. किसी को भी इसे बिगाड़ने का कोई अधिकार नहीं. जीवन की कद्र करनी है, जीवन को खत्म करने का हमें क्या अधिकार है. इसे देखकर मन कभी आश्चर्य से खिल जाता है कभी मुग्ध हो जाता है. उस अनदेखे परमात्मा की स्मृति आते ही उसके लिए श्रद्धा से भर जाता है. यह अद्भूत संसार उसने उन सबके लिये रचा है, जो इसकी खुशबू को अपने अंदर समोते हैं, इसके रस को पीते हैं, इसकी नरमाई-गरमाई को महसूसते हैं. हम मानव कितने भाग्यशाली हैं, हमें ईश्वर की बनाई इस सृष्टि में रखा गया है उसकी महिमा का गान करने के लिए, उसके गुणों को धारण करने के लिए. उसके आनंद का अनुभव करने के लिए. उसकी लीला में सहभागी बनने के लिए.

5 comments:

  1. उस अनदेखे परमात्मा की स्मृति आते ही उसके लिए श्रद्धा से भर जाता है. यह अद्भूत संसार उसने उन सबके लिये रचा है, जो इसकी खुशबू को अपने अंदर समोते हैं....

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  2. प्रभु की स्मृति ही आनंद है...

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  3. राहुल जी व कैलाश जी स्वागत व आभार !

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  4. इस प्रभु की महिमा वाली कविता को किसने पंक्तिबद्घ किया। कवि कौन है इस कविता के?

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    1. स्वागत व आभार प्रशांत जी, इस कविता के कवि का नाम मुझे तो ज्ञात नहीं है, शायद ज्यादा खोजने पर मिल जाये, पर लगता है यह बच्चों की कई अन्य कविताओं की तरह किसी अज्ञात कवि की रचना है.

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