Wednesday, April 8, 2015

एक यात्रा ऐसी भी है

दिसम्बर २००८ 
मानव के भीतर जो अधूरापन है, तलाश है वह उसे जड़ नहीं बैठने देती. वही उसे आगे बढने को प्रेरित करती है. प्रभु अनंत है, उसका ज्ञान अनंत है, उसकी शक्ति अनंत है उसका प्रेम भी अनंत है. मानव के भीतर भी वह अनंत रूप में बसा हुआ है. उसकी शक्ति, प्रेम और ज्ञान की झलक तो उसे कई बार मिलती है, इसलिए वह बार-बार उड़ान भरता है और अनंत आकाश की एक झलक पाकर उसे लगता है कि कुछ मिला है, फिर कुछ दिन बाद भीतर फिर कुलबुलाहट होने लगती है कि कुछ और है जो अनजाना है.. और उसकी यात्रा जारी रहती है.  

1 comment:

  1. अनंत प्रेम अनंत कथा अनंत यात्रा

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