Thursday, December 17, 2015

निज हाथों में भाग्य हमारा


हम देह को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक भोजन ग्रहण करते हैं, व्यायाम और योग साधना करते हैं. मन के विश्राम के लिए हम निद्रा की शरण लेते हैं, उसे प्रसन्न रखने के लिए मनोरंजन के साधन का उपयोग करते हैं. भावनात्मक आवश्यकताओं के लिए परिवार, समाज और रिश्तों का आश्रय लेते हैं. हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए हर कोई अपने तौर पर किसी न किसी प्रयास में लगा है. यह सब करते हुए हम एक आवश्यक बात भुला देते हैं कि हमारे हर विचार का असर हमारे भाग्य पर पड़ता है. विचारों से हमारा दृष्टिकोण तथा मान्यतायें बनती हैं, जिससे हमारी आदते विकसित होती हैं, तथा व्यक्तित्त्व बनता है. प्रतिदिन कुछ समय निकाल कर अपने भविष्य की कल्पना करने तथा उसके अनुरूप चिन्तन करने से हम अपना भाग्य स्वयं ही बदल सकते हैं. 

1 comment:

  1. कर्म - योग की महिमा अद्भुत है । " ऋग्वेद " ने भी इसे स्वीकार किया है ।

    ReplyDelete