Thursday, August 18, 2016

यह राखी बंधन है ऐसा

१८ अगस्त २०१६ 
रक्षा का यह बंधन जो बांधता है और जो बंधवाता है दोनों के लिए एक सा महत्व रखता है. एक मर्यादा का प्रतीक है यह रेशमी धागा, मर्यादा मूल्यों की, प्रकृति के संरक्षण की और स्वयं को उच्च जीवन की और ले जाने वाले पथ पर स्थिर रहने की. कलाई में बंधा यह याद दिलाता है कि संबंधों की गरिमा को हर हाल में निभाना है, निभाना ही नहीं उनमें नित नये रंग भरने हैं. सीमाओं में बंधी सुंदर जलधार ही नदी कहलाती है, जिसके दोनों तटों पर जीवन खिलता है. उसी तरह जीवन को कुछ मर्यादाओं में बांधकर गति प्रदान करने का उत्सव है रक्षा बंधन, जिसके कारण समाज में एकत्व और आत्मीयता की भावना का विकास होता है.     

Thursday, August 11, 2016

माली सींचे मूल को

१२ अगस्त २०१६ 
जब तक स्वयं की सही पहचान नहीं मिलती, जीवन में एक अधूरापन महसूस होता है. सब कुछ होते हुए भी एक तलाश जारी रहती है. देह किसी भी क्षण रोगग्रस्त हो सकती है, मृत्यु को प्राप्त हो सकती है, यह भय भी अनजाने सताता रहता है, शेष सारे भय उसकी की छाया मात्र हैं. स्वयं की पहचान करना इतना महत्वपूर्ण होते हुए भी हम इस कार्य को टालते रहते हैं, इसका कारण शायद यही है कि हमें लगता ही नहीं कि हम स्वयं को नहीं जानते, तभी हम अक्सर दूसरों से यह कहते हैं, तुम मुझे नहीं जानते. इस जानने में एक बड़ी भूल यह हो रही है कि जन्म के बाद इस जगत में हमने जो भी हासिल किया है, उसी से हम स्वयं को आंकते हैं. वृक्ष का जो भाग बाहर दिखाई देता है उसका मूल भीतर छिपा है. इस जीवन में हमने जो भी पाया अथवा खोया है उसका मूल भीतर है. यदि बाहर को संवारना है तो मूल से परिचय करना ही होगा.  

Tuesday, August 9, 2016

जीवन इक वरदान बने

९ अगस्त २०१६ 
यदि कोई तारों भरे आकाश को देखकर प्रफ्फुलता से नाच सकता है, और सुबह की किरण का स्पर्श पाकर उसी भांति उठता है जैसे पंछी जगते हैं तो वह अभी भी निसर्ग से जुदा नहीं हुआ है. शहर की प्रदूषित हवा और कंक्रीट के जंगलों में पला व्यक्ति आज कुम्हला गया है क्योंकि न तो वहाँ पूर्णिमा का चाँद दिखाई देता है न भोर का उगता हुआ सूरज..जंगल और गाँव के निकट रहने वाला व्यक्ति अभी भी खिला नजर आता है. प्रकृति कुछ करती नजर नहीं आती पर वहाँ सब कुछ अपने आप होता है. प्रकृति से जुड़ा व्यक्ति भी कुछ करता हुआ नहीं लगता, उससे कर्म होते हैं वैसे ही जैसे पेड़ों पर फूल लगते हैं. तब जीवन अपने आप में पूर्ण नजर आता है.