Sunday, September 18, 2016

भीतर इक मुस्कान छिपी है

१९ सितम्बर २०१६ 
संत हमें बतलाते हैं कि आत्मा की शक्ति अपार है, हम उसी अखंड, अनंत परमात्मा का अंश हैं. जीवन संघर्ष नहीं सुखमय क्रीड़ा है. यहाँ हमें किसी के साथ मुकाबला नहीं करना है, अपने को श्रेठतर बनते हुए देखने का आनंद मात्र लेना है. हमारे सिवा कोई भी हमरा मूल्यांकन कर ही नहीं सकता. अपने मन की गहराई में हर आत्मा जानती है उसे क्या चाहिए, बस वह यह नहीं जानती कि उसके आपने पास ही वे सारे खजाने भरे हैं, जगत में थोड़ा घूमघाम कर, भटक कर जब वह अपने घर लौटती है तो पाने का आनंद बढ़ जाता है, और तब जो मुस्कान अधरों पर खिलती है उसे दुनिया की कोई हलचल मिटा नहीं सकती.

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