Wednesday, October 19, 2016

पल पल जीवन को जी लें

२० अक्तूबर २०१६ 
जीवन का कैनवास कितना विशाल है, इसका आयाम अनंत तक फैला है. हमारा छोटा सा जीवन असीम सम्भावनाएं छिपाए है. मानव व्यर्थ ही स्वयं को देहों के छोटे-छोटे घरोंदों में कैद मानकर, मान्यताओं व धर्मों की दीवारों में बंट जाता है, और अपनी ऊर्जा व्यर्थ के कर्मों में लगा देता है. जब कि आकाश अपने अनदेखे हाथ हमारे सिरों पर रखे झांक रहा है. इस रंगमंच पर घटते हुए दृश्य की साक्षी धरा भी है. जीवन जो अपने शुद्धतम रूप में हर कहीं है, मानव देह में अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रकट हुआ है.  

Monday, October 17, 2016

श्वास श्वास में वही बसा

१८ अक्तूबर २०१६ 
सुबह से शाम तक हम जो भी करते हैं, यदि सचेत होकर करें तो कितनी ऊर्जा बचा सकते हैं. सजग होते ही हमारे मन में एक ठहराव आने लगता है, जो आवश्यक को सहेजता है और अनावश्यक को जाने देता है. यदि पुराने संस्कारों वश कुछ ऐसे कार्य भी हम करते हैं जिनसे बाद में  हानि ही होने वाली है तो धीरे-धीरे वे संस्कार भी खत्म होने लगते हैं. क्योंकि जानबूझकर कोई आग में हाथ नहीं डालता. भगवान बुद्ध तो हर श्वास के प्रति सजग रहने को कहते थे. ध्यान देने से श्वास की गति तेज रह ही नहीं सकती और श्वास यदि धीमी है तो विचारों की गति स्वत: ही धीमी हो जाती है.