Tuesday, November 15, 2016

जब आवे संतोष धन

१५ नवम्बर २०१६ 
भक्ति, युक्ति, शक्ति और मुक्ति, ये चारों जीवन में हों तो जीवन सफल होता है. वास्तव में देखा जाये तो भक्ति और मुक्ति आत्मा का मूल स्वभाव है, शक्ति उसका गुण और यदि ये तीनों हों तो युक्ति खोजने कहीं जाना नहीं पड़ता. चेतना में सहज ही ज्ञान है. ध्यान में न जानने की इच्छा हो न कुछ पाने की तो जो संतुष्टि सहज ही प्राप्त होती है, उसी से भक्ति का पोषण होता है.  

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