Monday, May 15, 2017

भाव भरा जब अंतर होगा

१५ मई २०१७ 
ऋषि कहते आये हैं भाव यदि शुद्ध होंगे तो विचार रूपी वृक्ष भी शुद्ध होंगे और कर्मों के फल भी उन्हीं वृक्षों पर लगेंगे. भविष्य में उन कर्मों के फल रूप सौभाग्य हमारी ही थाती होगा. आज की पीढ़ी के मस्तिष्क को हम सूचनाओं से भरते जाते हैं पर उनके भाव पक्ष की तरफ ध्यान ही नहीं देते. भाव गहराई से आते हैं और शब्द ऊपर-ऊपर से, वे एक सजावट से ज्यादा काम नहीं करते, वे प्रामाणिक भी नहीं होते. बचपन से ही हम उन्हें प्रतिद्वंद्वी होना सिखाते हैं, जिससे हृदय पीछे छूट जाता है. ऐसा प्रतीत होता है मानो सदा ही वे एक दौड़ में रत हों. इसीलिए आज समाज सम्पन्न तो हो रहा है पर तनाव ग्रस्त भी. 

No comments:

Post a Comment