Friday, July 21, 2017

पूर्ण पूर्ण से ही उपजा है

२१ जुलाई २०१७
जीवन में होने वाला हर अनुभव हमें पूर्णता की ओर ले जाने के लिए है. हर आत्मा अपने भीतर सत्य की सम्भावना लिए हुई जन्मती है. सत्य की झलक उसे मिल भी सकती है और अंधकार में खो भी सकती है. सबसे पहला सत्य है हमारा स्वयं का अस्तित्त्व. मन, बुद्धि, चित्त तथा अहंकार के रूप में अंतःकरण. मन की शक्ति अपार है, जिसका सही-सही ज्ञान होने पर हम इसका सदुपयोग करना सीख जाते हैं. मन के संस्कारों को शुद्ध करते हुए हम उसे उसके मूल तक ले जाते हैं, जहाँ से उसे पोषण मिलता है और वह उस तृप्ति का अनुभव करता है जिसकी उसे तलाश है. 

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