Wednesday, November 8, 2017

ज्ञान बिना कैसा सुख साधो

९ नवम्बर २०१७ 
जीवन यात्रा में चलते हुए हर कोई आनंद चाहता है. जन्मते ही बच्चा श्वास के रूप में सुख की मांग करता है, फिर भूख के दुःख को मिटाने के लिए आहार की. नन्हे से नन्हा जीव भी दुःख से बचना चाहता है. इसका कारण है कि जिस परमात्मा से इस जगत की सृष्टि हुई है, वह आनंद स्वरूप है. अपने आनन्द को लुटाने के लिए ही उसने यह विशाल आयोजन किया है. हिंसक पशुओं को पालने वाले भी इसका उदाहरण देते हैं कि वे भी आहार की पूर्ति हो जाने के बाद प्रेम और आनंद ही बांटते व चाहते हैं. प्रकृति का हर अंग चाहे वह लहराती हुई नदी हो या ऊंचे हिमखंड, देखने वाले को सहज ही आनंद से भर देते हैं. इतना सब होने के बावजूद भी मानव के जीवन में दुःख की अधिकता दिखाई देती है, अध्यात्म के अनुसार इसका कारण केवल और केवल अज्ञान है. 

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