Monday, February 19, 2018

क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा


२० फरवरी २०१८ 
जीवन हर पल नया है, एकदम ताजा, अछूता सा..हर घड़ी उसका स्पर्श मिले इसके लिए हमें भी हर क्षण का साक्षी होना होगा. उसी क्षण में उसे जानना होगा, हम वर्तमान को तब जीते हैं जब वह बीत जाता है, हम भविष्य को तब जीते हैं जब वह घटा भी नहीं होता. मन जिन बातों में हमें भरमाये रखता है, वे या तो बासी हो चुकी होती हैं, अथवा तो कल्पनाएँ मात्र ही होती हैं. परमात्मा उस नन्हे से पल में अपनी झलक दिखाता है, जिसमें हम उससे मिलने की कोई न कोई योजना बना रहे होते हैं. हम उसका नाम लेते हैं, ताकि हमारा जीवन वह भविष्य में खुशियों से भर दे, उसका नाम लेते समय यदि उससे मुलाकात नहीं हुई तो समझना चाहिए कि होगी ही नहीं. धरा इस क्षण में जैसी है, और गगन इस क्षण में जैसा है, वैसा अनंत युगों में नहीं हुआ, इस चमत्कार को जो खुली आंखों देख ले, वह कभी परमात्मा से विलग नहीं हो सकता.  

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